कोई सूरत-ए-बदल नहीं होगी
ये मुश्किल शायद हल नहीं होगी
वाक़िफ़ हैं अंजाम से फिर भी
कहीं कोई पहल नहीं होगी
न हम तैयार हैं न ये दुनिया ही
कोई रद्द-ओ-बदल नहीं होगी
आज मुमकिन है जंग पर बहस
ये गुंजाइश मगर कल नहीं होगी
नसीहतें मशवरे सर आँखों पर
हमसे आपकी नक़ल नहीं होगी
कुछ तुम भी कहो ‘अमित’ से कभी
ऐसे तो बात मुक़म्मल नहीं होगी
-अमित 'हर्ष'
नये ब्लॉग की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह ... गज़ब के सभी शेर .. ताज़ा और नया एहसास लिए ...
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