ये इबादत है मुझे, हद से गुज़र जाने दे
प्यार करने दे मुझे, प्यार में मर जाने दे
एक अरसे से मेरे अंदर इक समंदर है
आज न रोक मुझे, टूट के बह जाने दे
गम न कर यार मेरे मैंने, दुआ मांगी है
चाँद होगा तेरे दामन में, असर आने दे
यूँ तमाशा न बना, मेरी तमन्नाओं का
थोड़ा सा और करीब आ, या मुझे आने दे
इश्क़ है खेल नही है, जो कुछ तजुर्बा हो
सोचा इक रोज़ तुझे कह दूं, मगर जाने दे
मेरी रचना को मान देने के लिये आपका अतुल्य आभार आदरणीया दिव्या जी। नमन
ReplyDeleteमेरी रचना को मान देने के लिये आपका अतुल्य आभार आदरणीया दिव्या जी। नमन
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ReplyDeleteवाह!लाजबाब!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...,
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteहमेशा की तरह शानदार गज़ल अमित जी।👌👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर है लिखा आपने।
सुन्दर !
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ReplyDeleteइश्क़ है खेल नही है, जो कुछ तजुर्बा हो
सोचा इक रोज़ तुझे कह दूं, मगर जाने दे.....
बहुत खूबसूरत गजल ! बधाई !
बहुत अच्छा.
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