दर्द बढ़ जाए तो बता देना
इश्क हो जाए तो जता देना ।।
ज़ख्म भरने लगे सभी मेरे
आओ आकर कभी हवा देना ।।
कत्ल के बाद भूल मत जाना
चार आँसूं कभी बहा देना ।।
तुम तो माहिर हो झूठ कहने में
फिर बहाना कोई बना देना ।।
तेरे पहलू में मौत आए मुझे
तेरी बाहों का आसरा देना ।।
अब न कोई दवा असर देगी
चंद सांसें है बस दुआ देना ।।
शोर ज्यादा है तेरी गलियों का
आएंगे इक दिन पता देना ।।
-अमित जैन "मौलिक"
वाह्ह्ह....लाज़वाब प्रस्तुति👌
ReplyDeleteमेरी रचना को मान देने के लिये बहुत बहुत आभार-धन्यवाद आपका दिव्या जी।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 22 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह, सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति..
बहुत बढिया..
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