Thursday 5 October 2017

चंद हाईकू...अमित जैन 'मौलिक'


मौन है हाँ है,
तुम भी तो हो जाओ
ज़ुदा ज़ुबाँ है।

पहले सीखो,
मरना सरल है
जीकर देखो।

पियो पहले,
सारी कड़वाहट 
यूँ कहाँ चले।

यह इल्ज़ाम,
कि बहने न दिया
नदी तो बनो।

अभी तुम हो,
तो बहुत कठिन
हम तो बनो।

गीली मिट्टी हूँ,
पानी नही मिलाओ
मन मिलाओ।

तेरा मेरा क्यों,
सब तो अपना है
रज़ा तो हो।

कहाँ से लाऊँ,
सुकूँ सब्र अब मैं
गुज़र तो हो।

और कितना,
सहता तो आया हूँ
और क्यों सहूँ।
-अमित जैन 'मौलिक'

6 comments:

  1. लाज़वाब हायकु वाह्ह👌👌

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  2. अभी तुम हो,
    तो बहुत कठिन
    हम तो बनो।
    बहुत खूब !

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  3. खूबसूरत शब्द बेहद खूबसूरत अंदाज

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  4. बहुत आभार आपका दिव्या जी मेरी रचना को मान देने के लिए। सभी गुणीजनों को सराहना के लिये कृतज्ञता प्रेसित करता हूँ।

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