मौन है हाँ है,
तुम भी तो हो जाओ
ज़ुदा ज़ुबाँ है।
पहले सीखो,
मरना सरल है
जीकर देखो।
पियो पहले,
सारी कड़वाहट
यूँ कहाँ चले।
यह इल्ज़ाम,
कि बहने न दिया
नदी तो बनो।
अभी तुम हो,
तो बहुत कठिन
हम तो बनो।
गीली मिट्टी हूँ,
पानी नही मिलाओ
मन मिलाओ।
तेरा मेरा क्यों,
सब तो अपना है
रज़ा तो हो।
कहाँ से लाऊँ,
सुकूँ सब्र अब मैं
गुज़र तो हो।
और कितना,
सहता तो आया हूँ
और क्यों सहूँ।
-अमित जैन 'मौलिक'
बहुत सुंदर
ReplyDeleteलाज़वाब हायकु वाह्ह👌👌
ReplyDeleteसुंदर!
ReplyDeleteअभी तुम हो,
ReplyDeleteतो बहुत कठिन
हम तो बनो।
बहुत खूब !
खूबसूरत शब्द बेहद खूबसूरत अंदाज
ReplyDeleteबहुत आभार आपका दिव्या जी मेरी रचना को मान देने के लिए। सभी गुणीजनों को सराहना के लिये कृतज्ञता प्रेसित करता हूँ।
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