Friday 20 October 2017

होता है दिल टुकड़े-टुकड़े.....हिया 'हया'

एक पुरानी ग़ज़ल का मतला और कुछ शेर 
कुछ ख़ामोशी जकड़े-जकड़े
कुछ घबराए उखड़े-उखड़े

ख़ूब सताए आज जुदाई
होता है दिल टुकड़े-टुकड़े

सहमा सहमा सारा मौसम
और नज़ारे उजड़े -उजड़े

मोर पपीहा गुमसुम-गुमसुम
कोयल के सुर उखड़े-उखड़े

टीस जिया की दूर करो अब
मत बैठो जी अकड़े-अकड़े
-हिया 'हया'

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