सूर्य की पत्नी
साहस व शौर्य की
माता अश्विनी।
यम का व्रत
ये भरणी नक्षत्र
पृथ्वी धारक।
किचपिचिया
षट तारा कृत्तिका
चंद्र की प्रिया।
मध्य प्रदेश
रोहिणी का संकेत
चंद्राभिषेक।
प्राण संदिग्ध
नक्षत्र का आकार
मृग का शीष।
नभ की आद्रा
मानो अश्रु की बूँद
चमके हीरा।
ईष्ट अदिति
पुनर्वसु के देव
हैं वृहस्पति।
पुष्प से पुष्य
चन्द्रमा करे वास
पूनम पौष्य।
सुप्त अश्लेषा
अधिपति हैं नाग
पूज्य देवता।
बल प्रदाता
सत्ता, शक्ति से जुड़ा
नक्षत्र मघा।
लेती लालिमा
पूर्वा फाल्गुनी प्रेम
असल जामा।
ये आर्यमान
उत्तरा फाल्गुनी की
मित्रता शान।
रवि व चंद्र
हस्त पर विराजें
बनाएँ दृढ़।
नक्षत्र चित्रा
शिल्प और सौंदर्य
रहस्य कला।
सिन्धु में सीपी
स्वाति बिन्दू की आशा
रहती प्यासी।
अग्नि व इंद्र
विशाखा नक्षत्र के
दिशा संयंत्र।
पद्म पुष्प सा
सरस्वती ध्यायिका
ये अनुराधा।
सात्विक ज्येष्ठा
प्राण वायु सुरक्षा
धूप व वर्षा।
केन्द्र ही मूल
जड़ों को पहचानें
यही उसूल।
अपः पूजिता
अजेय पूर्वाषाढ़ा
नक्षत्र सीता।
सूर्य की प्रिया
तारा गज दन्त-सा
उत्तराषाढ़ा।
तारा श्रवण
जग मापे त्रिपग
प्रभु वामन।
ध्रुव सरीखा
दिलाती है धनिष्ठा
मान प्रतिष्ठा।
राहू की दशा
नक्षत्र शतभिषा
शनि की पीड़ा।
आद्य सुंदर
पूर्वा भाद्र का पद
अजिकपद।
आकाश तत्व
उत्तर भाद्रपद
मृतक सर्प।
रेवती स्वामी
वणिक ग्रह बुध
बुद्धि दायक।
पूर्वाषाढ़ा में
अस्तित्व समाहित
ये अभिजित।
-.प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
लाज़़वाब...वाह्ह्ह...
ReplyDeleteबेमिसाल हायकु👌👌
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार २३ अक्टूबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteमौलिक सृजन ! सुंदर एवं ज्ञानवर्धक !
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह!!बहुत सुंदर हायकू !!
ReplyDeleteसुन्दर हाइकू हैं सभी ...
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