Tuesday, 24 October 2017

शुतुर्मुर्ग..............भास्कर चौधुरी



मैंने बंद कर ली आँखें
और सोचा शुतुर्मुर्ग की तरह
कि अंधी है दुनिया

जम्हाई ली मैंने
और सोचा चिड़ियाघर में
कैदी शेर की तरह
उबासियाँ ले रही है सारी दुनिया

चुप हो गया मैं
और सोचा सीतनिद्रा में पड़े
ध्रुवी भालू की तरह
कि इन दिनों ऐसी ही है दुनिया... !!
-भास्कर चौधुरी

2 comments:

  1. वाह ! बहुत ही अलग सी रचना, काफी दिनों बाद पढ़ने को मिली ऐसी कविता ।

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  2. सच है ऐसी ही है दुनिया ... कहाँ बदलती है किसी के लिए ...

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