चंद हाईकू.....
यौवन आया
बूढ़े बरगद में
विहंसे पात
ले अंगड़ाई
कलियाँ शरमाई
आया बसंत
स्वर्ण चुनर
ओढ़ वसुधा झूमी
महकी हवा
पीने पराग
तितलियाँ मचली
लगी बौराने
अमराई में
कूक हूक सी लगी
पिक की तान
बासंती पाती
बिखरी बगिया में
मौसम संग
इन्द्रधनुष
उतरा धरा पर
करने सैर
मलज गंध
छेड़े मन के तार
बसंत आया
बसंत की तरुणाहट लिए बेहतरीन रचना। आदरणीय दिव्या जी, तरुणाई यह बसंत की आपको भी लग जाए। बधाई।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteमन को भा गई
बहुत लाजवाब !!
ReplyDeleteबसंत की आहट लिए सुंदर हाइकू हैं सभी ... लाजवाब कमाल के हैं ...
ReplyDeleteसुंंदर हायकू.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हायकू....
ReplyDeleteवाह!!!
लाजवाब पंक्तियाँ !!!!!!! हर हाइकू शानदार है |
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबसंत की आहट लिए सुंदर हायकु।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकु।
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