Thursday, 1 February 2018

लालिमा...सा विस्तार


उभरे तुम
आकाश पे
मेरी
ज़िन्दगी के
इन्द्रधनुष से......
तुम्हारा विस्तृत प्रेम
हरा भरा कर देता
तन मन को
पुलकित.....
तुम्हारा प्रेम
खरे सोने सा 
सच्चा.....जीवन
रंग देता
स्नेह की
तुम्हारे
पीली, सुनहरी
धूप में
संग तुम्हारे पाया
जीवन में
ताना बाना बुनते
नारंगी सपनों 
का....प्रेम की 
लालिमा...सा विस्तार
इंद्रधनुषी...सपनो से
सजा-सँवरा
अपना संसार
तुम्हारे बाद
इन्द्रधनुष के 
और...रंग खो गए
बस, दूनी है... 
बैंजनी विषाद की 
छाया....
मेरी ज़िन्दगी
सूनी है...
बिन तेरे.

14 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना दिबू...वाह्ह👌

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ५ फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. बहुत ही सुन्दर.....

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. मन को छूती सुंदर रचना ।

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  7. बेहतरीन
    सादर

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  8. प्रेम का विस्तार ..... सुंदर भाव

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  9. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना

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  10. वाह!बहुत खूब 👌
    सादर

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  11. तुम्हारे बाद
    इन्द्रधनुष के
    और...रंग खो गए
    बस, दूनी है...
    बैंजनी विषाद की
    छाया....
    मेरी ज़िन्दगी
    सूनी है...
    बिन तेरे.
    अत्यंत भावपूर्ण...
    बहुत सुन्दर स।जन।

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