Sunday, 7 March 2021

कुछ क्षणिकाएँ....दीदी की डायरी से

कुछ क्षणिकाएँ



ऐ जिंदगी 
तू सच में 
बहुत ख़ूबसूरत है…!
फिर भी तू, 
उसके बिना
बिलकुल भी 
अच्छी नहीँ लगती…!!
......
क्या हुआ अगर 
हम किसी के 
दिल में नहीं 
धड़कते, 
मगर हम
आँखों में तो 
बहुतों के खटकते हैं…
.....
‘सब्र’ 
एक ऐसी ‘सवारी’ है 
जो अपने ‘सवार’ को 
कभी गिरने नहीं देती;
ना किसी के 
‘क़दमों’ में 
और ना ही 
किसी के नज़रों ‘में’।
......
ये मोहब्बत भी 
आग जैसी है ..
लग जाये
तो बुझती नही..
और यदि…
बुझ जाये तो..
जलन होती है…!

-दीदी की डायरी से

17 comments:

  1. दीदी का परिचय जानना चाहती हूँ । बहुत सुंदर क्षणिकाएँ ।

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    1. सादर नमन दीदी
      यशोदा दीदी की डायरी के दो पन्नों की तस्वीर ले ली थी..एकदम पीछे वाले पन्ने थे वे..
      सादर..

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  2. आभार दीदी..
    सादर नमन..

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  3. बहुत प्रभावी क्षणिकाएं हैं ये । अभिनंदन ।

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  4. बहुत सुंदर , गहरी क्षणिकाएं !

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  5. वाह सुन्दर रचना

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  6. वाह बेहतरीन सृजन

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  7. बहुत सुंदर क्षणिकाएं।

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  8. बहुत ही सुंदर रचना, होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं शुभ प्रभात यशोदा जी

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  9. ‘सब्र’
    एक ऐसी ‘सवारी’ है
    जो अपने ‘सवार’ को
    कभी गिरने नहीं देती;
    ना किसी के
    ‘क़दमों’ में
    और ना ही
    किसी के नज़रों ‘में’।बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...खूब बधाई

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  10. बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने

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  11. यशोदा जी तो हमेशा से बहुत सुंदर ल‍िखती रही हैं---
    "क्या हुआ अगर
    हम किसी के
    दिल में नहीं
    धड़कते,
    मगर हम
    आँखों में तो
    बहुतों के खटकते हैं… तो बहुत ही गजब है द‍िव्‍या जी

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  12. वाह ! सरल मगर गहरी बातें

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