कुछ क्षणिकाएँ
ऐ जिंदगी
तू सच में
बहुत ख़ूबसूरत है…!
फिर भी तू,
उसके बिना
बिलकुल भी
अच्छी नहीँ लगती…!!
......
क्या हुआ अगर
हम किसी के
दिल में नहीं
धड़कते,
मगर हम
आँखों में तो
बहुतों के खटकते हैं…
.....
‘सब्र’
एक ऐसी ‘सवारी’ है
जो अपने ‘सवार’ को
कभी गिरने नहीं देती;
ना किसी के
‘क़दमों’ में
और ना ही
किसी के नज़रों ‘में’।
......
ये मोहब्बत भी
आग जैसी है ..
लग जाये
तो बुझती नही..
और यदि…
बुझ जाये तो..
जलन होती है…!
-दीदी की डायरी से
सुंदर रचना..
ReplyDeleteदीदी का परिचय जानना चाहती हूँ । बहुत सुंदर क्षणिकाएँ ।
ReplyDeleteसादर नमन दीदी
Deleteयशोदा दीदी की डायरी के दो पन्नों की तस्वीर ले ली थी..एकदम पीछे वाले पन्ने थे वे..
सादर..
आभार दीदी..
ReplyDeleteसादर नमन..
बहुत प्रभावी क्षणिकाएं हैं ये । अभिनंदन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर , गहरी क्षणिकाएं !
ReplyDeleteवाह सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएं।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना, होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं शुभ प्रभात यशोदा जी
ReplyDelete‘सब्र’
ReplyDeleteएक ऐसी ‘सवारी’ है
जो अपने ‘सवार’ को
कभी गिरने नहीं देती;
ना किसी के
‘क़दमों’ में
और ना ही
किसी के नज़रों ‘में’।बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...खूब बधाई
सुंदर क्षणिकाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने
ReplyDeleteयशोदा जी तो हमेशा से बहुत सुंदर लिखती रही हैं---
ReplyDelete"क्या हुआ अगर
हम किसी के
दिल में नहीं
धड़कते,
मगर हम
आँखों में तो
बहुतों के खटकते हैं… तो बहुत ही गजब है दिव्या जी
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteवाह ! सरल मगर गहरी बातें
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