हाइकु सत्रह (17) वर्णों में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में 5 वर्ण दूसरी में 7 और तीसरी में 5 वर्ण रहते हैं।
संयुक्त वर्ण भी एक ही वर्ण गिना जाता है, जैसे (सुगन्ध) शब्द में तीन वर्ण हैं-(सु-1, ग-1, न्ध-1)। तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात् एक ही वाक्य को 5,7,5 के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।
अनेक हाइकुकार एक ही वाक्य को 5-7-5 वर्ण क्रम में तोड़कर कुछ भी लिख देते हैं और उसे हाइकु कहने लगते हैं। यह सरासर गलत है, और हाइकु के नाम पर स्वयं को छलावे में रखना मात्र है।
है एक बला
नज़र भी मिला ले
कभी कभार
एक बला है नज़र भी
कभी मिल जाती है नज़र
और कभी लग भी जाती है
नज़र ....कोई बात कर लेता है
मिलाकर नज़र
तो कोई निकल जाता है
चुरा कर नज़र...
कभी किसी को
आ जाती है नज़र
तो कभी गुम हो जाती है नज़र
कोई डाल लेता है नज़र
और देख भी लेता है कोई
नज़र भर
कोई गा लेता है...
नज़रों के गीत
बड़ा अनोखा सा संम्बध है
नज़र का ज़िगर से
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 20 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत समय बाद आपकी रचना पढ़ी।
ReplyDeleteकैसी हैं आप?
स्वागत है आपका।
सादर।
ReplyDeleteहै एक बला
नज़र भी मिला ले
कभी कभार
हाइकु के नाम पर स्वयं को छलावे में रखना मात्र है।
–सत्य कथन
बहुत अच्छी रचना है |
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